चकेरी पुलिस का एक और कारनामा
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जिसे मृत समझकर दफनाया मिला जिंदा
पुलिस की कार्यशैली पर पुनः एक बार प्रश्न चिन्ह
कानपुर :- थाना चकेरी 8 अगस्त नगमा नाम की एक मुस्लिम महिला ने थाना चकेरी में अपने पति अहमद हसन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई चकेरी पुलिस को दो दिन बाद एक बॉडी मिली जिसमें नगमा के द्वारा शव की शिनाख्त पति अहमद हसन के रूप में की गई आनन-फानन में पुलिस ने शव को अहमद का शव मानकर दफना दिया अचानक अहमद के वापस आने पर हड़कंप मच गया मोहल्ले वालों के द्वारा अहमद को सूचना मिली कि वह मर गया और उसे दफना दिया गया जाहिर है, इंस्पेक्टर साहब तक सूचना पहुंची इंस्पेक्टर साहब आए और अहमद को ले गए थाने अब अहमद तो जिंदा है, तो फिर मरा कौन किसने मारा क्यों मारा कैसे पता चलेगा हालांकि की खबर है कि पुलिस ने दफनाए हुए व्यक्ति का पोस्टमार्टम कराने की बात कही है, लेकिन पुलिस इससे पहले क्या कर रही थी केवल पत्नी के कह देने से पुलिस सब कुछ सही कैसे मान बैठी वह पुलिसिया चेकिंग प्रोसेस कहां चला गया पुलिस को पूरी तरह से कन्फर्म करके ही बॉडी को सौंपना चाहिए था यह पुलिस क्या कर रही है, कहीं तो बॉडी का ही पता नहीं चलता कहां गई और कहीं बॉडी मिलती है, तो किसी और को सौंप देती है, मरा कोई जिंदे को ही मुर्दा बनाकर खाना पूरी करती अपना पल्ला झाड़ती है, आखिरकार यह सिस्टम क्या है, बिना पोस्टमार्टम कराए बॉडी को सौंप देने का क्या मतलब है, यदि वह अहमद भी होता तब भी क्या पुलिस को यह जानने की जरूरत नहीं थी कि उसकी मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई ।
कहीं ऐसा तो नहीं अंधेर नगरी चौपट राजा ---------
एडीटर :- डॉ0 आर्यप्रकाश मिश्रा