मयंक शर्मा की नई रचना

हमने सोचा था दिल में ईमान बसा के चलते हो
लेकिन अब लगता है पाकिस्तान बसा के चलते हो

यही देश है जिसमें अज़हर कप्तानी कर जाता है
इसी देश में ओवैसी भी मनमानी कर जाता है

यही देश है खान बंधुओं को अपनापन देता है
शुक्रवार को टॉकीज में जाकर अपना धन देता है

देश जहाँ पे बौलिंग की शुरुआत शमी से होती है
अय्यूब पंडित के मरने पे पूरी जनता रोती है

देश जहाँ अशफाकउल्ला दिल से पूजे जाते है
देश जहाँ अब्दुल हमीद भी परम वीरता पाते है

देश जहाँ बिस्मिल्लाह की शहनाई बड़ी सुरीली है
देश जहाँ ज़ाकिर के तबलों वाली थाप रंगीली है

देश जहाँ पे सबसे अच्छे भजन रफ़ी ने गाए हैं
यही देश है जहाँ सानिया ने सम्मान कमाए हैं

इसी देश में तुमने वर्षों सत्ता का सुख पाया है
इसी देश ने ही तुमको सर्वोच्च पदों पर लाया है

लेकिन तुमने सदा देश की मर्यादा को तोड़ा है
कुर्सी छूट गयी तो भाषण को मज़हब से जोड़ा है

तुम ही थे जो वंदे मातरम् गाने से कतराते थे
तुम ही थे जो देश के झंडे का सम्मान घटाते थे

अपना उल्लू सीधा करके खुद का तो उत्थान किया
तुम जैसे लोगों ने सच्चे मोमिन को बदनाम किया

ढूंढ लो ज़र्रा ज़र्रा इतना मान नहीं मिल पाएगा
जन्नत मिल जाएगी हिंदुस्तान नहीं मिल पाएगा

जो "कलाम जी" जैसे होंगे सर पे उन्हें बिठाएंगे
जो कसाब के जैसे होंगे फांसी उन्हें चढ़ाएंगे.

कवि - मयंक शर्मा
   ( 9302222285 )
          दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )

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