चल रहा राशन विभाग में लंबा घोटाला



जनता के हिस्से का राशन खा रहा राशन विभाग


राशन कार्डों का बहुत बड़ा हेरफेर


नहीं दिख रहा उत्तर प्रदेश सरकार का किसी भी विभाग पर नियंत्रण


कानपुर नगर : राशन विभाग का एक बहुत बड़ा  चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। हुआ यूं कि एक सीनियर सिटीजन ने अपना राशन कार्ड 2020 में बनवाया, राशन कार्ड तो बन कर मिलना बहुत बड़ी बात हो गई अलबत्ता जब वह अपने राशन कार्ड के बारे में पता करने जब राशन विभाग गए तो उन्हें राशन विभाग के अधिकारी द्वारा बताया जाता है कि आपके राशन कार्ड पर कहीं दूसरी जगह राशन उठाया जा रहा है । यह बात बड़े ही आश्चर्य में डालती है कि घर के मुखिया के नाम के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन राशन उठाने के लिए अंगूठा कहां से लाएं जो राशन उठाने के लिए बहुत जरूरी होता है ।अब समझ में पूरी कहानी आई कि वास्तविकता में राशन कोई नहीं उठा रहा है यह राशन विभाग द्वारा सरकार के साथ और गरीब जनता के साथ किया जाने वाला एक बहुत बड़ा घोटाला ऐसे हजारों लोग हैं जिनका राशन कार्ड इस तरह से दूसरी जगह पर इस्तेमाल किया जा रहा है। वास्तविकता में इस तरह के राशन कार्डों का उपयोग सरकार से राशन लेने के लिए  किया जाता है और उस राशन को जिसको कोई लेने वाला होता ही नहीं कहां और कैसे बेचा जाता है, यह समझना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन यह एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसकी निष्पक्ष जांच उत्तर प्रदेश सरकार अगर करवाती है तो इस घोटाले के तार उत्तर प्रदेश खाद्य मंत्रालय से भी जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि जब इस प्रकार के मामलों की पड़ताल करने की कोशिश हुई तो कई अधिकारियों ने बात करने से मना कर दिया विभाग के उप निरीक्षक विजयंत जी ने तो फोन रिसीव करना ही बंद कर दिया और कुछ ने तो लखनऊ दिल्ली तक जाने की सलाह दे डाली।अब बेचारे बुजुर्ग कहने को सीनियर सिटीजन कहां जाएं,क्या करें यह उनके आधार कार्ड जैसी महत्वपूर्ण पहचान का गलत उपयोग भी है। यदि सरकार इसी तरह हाथ पर हाथ धरे बैठी रही तो सरकार के नीचे काम करने वाला तंत्र जनता को लूट कर खा जाएगा या फिर जनता विद्रोही हो जाएगी और चुनाव के समय सरकार को अपनी अनदेखी का बहुत बड़ा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है। वास्तविकता तो यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार का किसी भी विभाग पर कोई नियंत्रण नहीं है सारे विभाग अपनी मनमर्जी का काम कर रहे हैं चाहे वह कोई भी विभाग हो वास्तविकता में जनता त्रस्त है। खासतौर से वह लोग जो सीधी चाल चलना जानते हैं जिन्हें टेढ़े मेढ़े रास्तों से कोई सरोकार नहीं होता।


(एडीटर इन चीफ : सुशील निगम)

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